रस बहुविकल्पीय प्रश्न एम सी क्यू क्विज
हिंदी व्याकरण में रस के बहुविकल्पीय प्रश्न (एम सी क्यू , क्विज) विस्तृत उत्तर के साथ दिए गए है | इस पोस्ट में रस किसे कहते है, रस के कितने अंग होते है , रस के प्रकार, स्थायीभाव व संचारीभाव किसे कहते हैं, संचारीभावों की कुल कितनी संख्या होती है, रस के उदाहरण, रस पर अभ्यास प्रश्न, इत्यादि रस पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न उत्तर के साथ दिए गए हैं यह | यह एम सी क्यू कक्षा 10 और सभी प्रतियोगी छात्रों के लिए उपयोगी होगा |
1.साहित्य में रस का क्या अर्थ होता है??
रस शब्द का शाब्दिक अर्थ है आनंद
2.रस सम्प्रदाय के प्रवर्तक कौन हैं?
रस सम्प्रदाय के प्रवर्तक- भरतमुनि
3.रस की सर्वप्रथम चर्चा करने वाले आचार्य कौन थे?
3.रस के कितने अंग हैं?
रस के चार अंग होते हैं 1- विभाव 2- अनुभाव 3- संचारिभाव 4- स्थायिभाव
5.रस के कितने प्रकार हैं?
रस नौ प्रकार के होते हैं |
6. कौन रस का अंग नही है?
7.कौन रस का भेद नहीं है?
8.किस रस को रसराज खा जाता है?
9.श्रृंगार रस का स्थायिभाव क्या है?
श्रृंगार रस का स्थायीभाव रति है
10.करुण रस का स्थायिभाव क्या है?
करुण रस का स्थायिभाव शोक है
11.श्रृंगार रस का भेद है
संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार , श्रृंगार रस के दो भेद हैं
12.विभावानुभावव्यभिचारीसंयोगाद्ररसनिस्पत्ति' किसकी परिभाषा है ?
विभावानुभावव्यभिचारीसंयोगाद्ररसनिस्पत्ति भरतमुनि की परिभाषा या उक्ति है
13.वाक्यं रसात्मकं काव्यं किसकी परिभाषा है
वाक्यं रसात्मकं काव्यं विश्वनाथ की परिभाषा है
14.वीर रस के कितने प्रकार हैं?
वीर रस के चार प्रकार होते हैं दान वीर , धर्म वीर, दया वीर, युद्ध वीर
15.'साहित्य का चरम मान रस है' किसकी परिभाषा है
साहित्य का चरम मान रस है यह परिभाषा नगेन्द्र की है
16.विभाव के कितने भेद हैं?
विभाव के दो भेद होते हैं आलंबन विभाव , उद्दीपन विभाव
17.अनुभाव के कितने भेद होते है
अनुभाव के चार भेद होते हैं 1- सात्विक अनुभाव 2-कायिक अनुभाव 3- वाचिक अनुभाव 4- आहार्या अनुभाव
18.अनुभाव का भेद नहीं है
19.सात्विक अनुभाव के कितने भेद होते है
सात्विक अनुभाव के आठ भेद होते है स्तम्भ,स्वेद, रोमांच, स्वरभंग , वेपथु, वैवर्ण्य, अश्रु, अचेतक(प्रलय)
20.सात्विक अनुभाव का भेद नही है
21.आतंरिक मनोभावों के कारण जो शारीरिक व्यंजना होती है वहां रस का कौन अंग होता है
आतंरिक मनोभावों के कारण जो शारीरिक व्यंजना होती है वह अनुभाव के अंतर्गत आता है
22.लोक ह्रदय में लीन होने की दशा रस दशा है' किसकी परिभाषा है
लोक ह्रदय में लीन होने की दशा रस दशा है' रामचंद्र शुक्ल की परिभाषा है
23.संचारिभाव कितने प्रकार के है
संचारिभावों की संख्या 33 है
24.स्थायीभाव कितने प्रकार के होते है
स्थायिभाव नौ प्रकार के होते है
25.उत्साह किस रस का स्थायिभाव है
उत्साह वीर रस का स्थायिभाव है
26.आश्चर्य किस रस का स्थायिभाव है
आश्चर्य अद्भुत रस का स्थायिभाव है
27.रौद्र रस का स्थायिभाव क्या है
रौद्र रस का स्थायिभाव क्रोध है
28.हास्य रस का स्थायिभाव क्या है
हास्य रस का स्थायिभाव हास है
29.जिसके ह्रदय में आलंबन को देखकर भाव जाग्रत होते है उसे क्या कहते हैं
जिसके ह्रदय में भाव जागृत होते है उसे आश्रय कहते है
30.उद्दीपन का अर्थ क्या होता है
भावों को बढाने वाले स्रोत को उद्दीपन कहते हैं
31.दुःख ही जीवन की कथा रही क्या कहूँ आज जो नहीं कही' पंक्ति में कौन रस है
दुःख ही जीवन की कथा रही क्या कहूँ आज जो नहीं कही' पंक्ति में करुण रस है
32.राम को रूप निहारति जानकि, कंकन के नग की परछाही | यातें सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारति नाहीं || पंक्ति में कौन रस है ?
राम को रूप निहारति जानकि, कंकन के नग की परछाही | यातें सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारति नाहीं || पंक्ति में श्रृंगार रस है |
33.रे नृप बालक कालवस बोलत तोहि न संभार | धनुहिं सम त्रिपुरारि धनु विदित सकल संसार || पंक्ति में कौन रस है
रे नृप बालक कालवस बोलत तोहि न संभार | धनुहिं सम त्रिपुरारि धनु विदित सकल संसार || पंक्ति में रौद्र रस है
34.किलकत कान्ह घुटुरुवन आवत'पंक्ति में कौन रस है
किलकत कान्ह घुटुरुवन आवत'पंक्ति में वात्सल्य रस है
35.या मुरली मुरलीधर की अधरा न धरी अधरा न धरौगी' पंक्ति में कौन रस है ?
या मुरली मुरलीधर की अधरा न धरी अधरा न धरौगी' पंक्ति में श्रृंगार रस है
36.अन्न परायो पाइ के खायो पेट अघाय | देहं मिलै फिर-फिर इहाँ अन्न परायो नाइ | पंक्ति में कौन रस है
अन्न परायो पाइ के खायो पेट अघाय | देहं मिलै फिर-फिर इहाँ अन्न परायो नाइ | पंक्ति में हास्य रस है
37.श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे | सब शोक अपना भुलकर करतल युगल मलने लगे || पंक्ति में कौन रस है ?
श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे | सब शोक अपना भुलकर करतल युगल मलने लगे || पंक्ति में रौद्र रस है
38.आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी | हाथों पे उसे झुलाती है गोंद भरी || पंक्ति में कौन रस है ?
आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी | हाथों पे उसे झुलाती है गोंद भरी || पंक्ति में वात्सल्य रस है
40.सब बंधुन को सोंच तजि, तजि गुरुकुल को नेह | हा सुशिल सूत! किमि कियो अनत लोक में गेह || पंक्ति में कौन रस है ?
सब बंधुन को सोंच तजि, तजि गुरुकुल को नेह | हा सुशिल सूत! किमि कियो अनत लोक में गेह || पंक्ति में करुण रस है
40.मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया | आलिंगन में आते-आते जो मुसक्या कर भाग गया |' पंक्ति में कौन रस है ?
मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया | आलिंगन में आते-आते जो मुसक्या कर भाग गया |' पंक्ति में श्रृंगार रस है
41.प्रीति नदी में पाँव न बोरयो, दृष्टी न रूप परागी | सूरदास अबला हम भोरी, गुरु चांटी ज्यों पागी' पंक्ति में कौन रस है
प्रीति नदी में पाँव न बोरयो, दृष्टी न रूप परागी | सूरदास अबला हम भोरी, गुरु चांटी ज्यों पागी' पंक्ति में श्रृंगार रस है
42.मेरे ह्रदय के हर्ष हा | अभिमन्यु अब तु है खान ! पंक्ति में कौन रस है
मेरे ह्रदय के हर्ष हा | अभिमन्यु अब तु है खान ! पंक्ति में करुण रस है
43.आधा पात बाबुल का तामे तनिक पिसान | लाला जी करने लगे छठे छमासे दान | पंक्ति में कौन रस है ?
आधा पात बाबुल का तामे तनिक पिसान | लाला जी करने लगे छठे छमासे दान | पंक्ति में हास्य रस है |
44.पिल्ला लीन्हीं गोंद में मोटर भई सवार , गली-गली घुमन चली कियो समाज सुधार | पंक्ति में कौन रस है ?
पिल्ला लीन्हीं गोंद में मोटर भई सवार , गली-गली घुमन चली कियो समाज सुधार | पंक्ति में हास्य रस है
45.देखि शिवहिं सुरतिय मुसकाही , वर लायक दुल्हिन जग नाहीं | पंक्ति में कौन रस है
देखि शिवहिं सुरतिय मुसकाही , वर लायक दुल्हिन जग नाहीं | पंक्ति में हास्य रस है
46.हाय उठ गया यहीं संसार , बना सिंदूर आज अंगार | पंक्ति में कौन रस है
हाय उठ गया यहीं संसार , बना सिंदूर आज अंगार | पंक्ति में करुण रस है |
47.शोक विकल सब रोवहु रानी , रूप शील बल तेज बखानी | करहिं विलाप अनेक प्रकारा, परहिं भूमि ताल बारहिं बारा ' पंक्ति में कौन रस है?
शोक विकल सब रोवहु रानी , रूप शील बल तेज बखानी | करहिं विलाप अनेक प्रकारा, परहिं भूमि ताल बारहिं बारा ' पंक्ति में करुण रस है|
48.एक ओर अजगरहीं लखि एक ओर मृगराज , विकल बटोही बीच हि परयो मूर्छा खाय ' पंक्ति में कौन रस है ?
एक ओर अजगरहीं लखि एक ओर मृगराज , विकल बटोही बीच हि परयो मूर्छा खाय ' पंक्ति में भयानक रस है |
49. जहाँ नायक-नायिका का प्रेम प्रसंग का चित्रण किया जाय वहां कौन रस होता है?
जहाँ नायक-नायिका का प्रेम प्रसंग का चित्रण किया जाय वहां श्रृंगार रस होता है |
50.किस रस को रसराज कहा जाता है?
श्रृंगार रस को रसराज कहा जाता है|
51.उत्साह स्थायी भाव जब विभाव,अनुभाव और संचारीभावों से पुष्ट हो जाता है तब वहां कौन रस होता है?
वीर रस किसे कहते हैं -उत्साह स्थायी भाव जब विभाव,अनुभाव और संचारीभावों से पुष्ट हो जाता है तब वहां वीर रस होता है |
52.करुण रस किसे कहते हैं?
प्रिय व्यक्ति या वस्तु की हानि से उत्त्पन्न भाव को करुण रस कहते हैं |
53.हास्य रस किसे कहते हैं?
विलक्षण स्थितियों द्वारा हंशी के पोषण हो तो उसे हास्य रस कहते हैं
54.रौद्र रस किसे कहते हैं?
क्रोध और प्रतिशोध के भाव को रौद्र रस कहते हैं|
55.भयानक रस किसे कहते हैं?
भय स्थायी भाव के पुष्ट और विकसित होने को भयानक रस कहते हैं |
56.वीभत्स रस किसे कहते हैं?
जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति घृणा का भाव परिपुष्ट हो तो वहां वीभत्स रस होता है
57.शांत रस का स्थायी भाव क्या है?
शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद होता है
58.अद्भुत रस किसे कहते हैं?
आश्चर्यजनक एवं विचित्र वस्तु को देखने व सुनने से जब आश्चर्य का परिपोषण हो तब वहां आश्चर्य रस होता है
59.शांत रस किसे कह्हते हैं?
जहाँ संसार के प्रति वैराग्य का भाव रस अवयवों से परिपुष्ट होकर अभिव्यक्त होता है तो वहां शांत रस होता है |
60.वात्सल्य रस किसे कहते हैं?
जहाँ बाल-रति का भाव रस अवययों से पुष्ट होकर व्यक्त होता है तो वहां वात्सल्य रस होता है
Chandra.k
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