मेरे संग की औरतें का सारांश, प्रश्न उत्तर और अन्य प्रश्न क्लास 9

इस पोस्ट में हमलोग मेरे संग की औरतें पाठ का सारांश, मेरे संग औरते का प्रश्न उत्तर, मेरे संग की औरते का अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे जो क्लास 9 कृतिका हिन्दी के चैप्टर 2 से लिया गया है|

 मेरे संग की औरतें का सारांश / mere sng ki aurte ka saransh 

लेखिका के स्मृति पटल पर सर्वप्रथम अपनी नानी का चित्र उभरता है। वे कम पढ़ी-लिखी पर्दानशी औरत थीं उन्होंने अपने पति अर्थात् हमारे नाना से भी जो विलायत में पढ़े लिखे थे कभी मुँह खोलकर बात नहीं के थी, लेकिन मरते समय उन्हें अपनी इकलौती बेटी अर्थात् मेरी माँ की शादी की इतनी चिन्ता हुई कि वे सभी लिहाज़ और पर्दा छोड़कर हमारे नाना के मित्र प्यारेलाल शर्मा से बातचीत करने की इच्छा प्रकट करने लगीं। प्यारेलाल एक स्वतंत्रता-सेनानी थे।

मेरी नानी ने प्यारेलाल शर्मा से कहा कि मेरी बेटी के लिए वर आप खोजिएगा। लेकिन वह साहब न हो वरन् आज़ादी का सिपाही हो। उनकी इच्छानुसार मेरे माँ की शादी ऐसे युवक से हुई जिसे आई.सी.एस. की परीक्षा में बैठने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वह गांधीवादी था। और उन्हीं के कारण मेरी माँ को भी खादी की भारी भरकम साड़ी पहनने का अभ्यास करना पड़ा। अर्थात् मेरे माँ की गांधीवादी विचारधारा वाले घर में हुई।

मेरे संग की औरते पाठ में लेखिका ने अपनी माँ के महत्व का वर्णन किया है कि वे शरीर से दुबली पतली ज़़रूर किन्तु खूबसूरत और ठोस निर्णय लेने वाली महिला थीं। इसीलिए मेरे माँ की राय घर के हर कामों में ली जाती थी।

लेखिका (मृदुला गर्ग) के अनुसार मेरी माँ में भी आज़ादी का जुनून था लेकिन मैंने अपनी माँ को भारतीय माँ की तरह कभी नहीं पाया वे घर का कोई कार्य नहीं करती थीं, यहाँ तक कि उन्हें अपने ही बच्चों को दुलार देने की फुर्सत भी नहीं थी। हमेशा पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ती रहती थीं मेरी समझ से साहिबी वाले खानदान से ताल्लुक रखने के कारण के अलावा वे ईमानदार और मितभाषी थीं। अर्थात् ईमानदारी के साथ-साथ वह कम बोलने वाली थी।

मेरे संग की औरतें पाठ में लेखिका(मृदुला गर्ग) ने यह स्पष्ट किया है कि ईमानदारी और मितभाषिता के ही कारण मेरी माँ को घर और बाहर दोनों जगह आदर और सम्मान मिलता था। हमारे घर सभी को चाहे वह छोटा बच्चा हो या बड़ा बुजुर्ग अपने ढंग से जीवन जीने की छूट थी।

यहाँ मृदुला गर्ग ने अपनी परदादी दादी और माँ की सन्तान सम्बन्धी मन्नतों और इच्छाओं का चित्रण किया है। लेखिका ने लिखा है कि, मेरी परदादी के पास दो से ज्यादा धोतियाँ यदि हो जाती तो वे एक को दान कर दिया करती थीं। अपने इसी स्वभाव के चलते वे भगवान के मन्दिर में जाकर खुलेआम मन्नत माँगती थीं कि मेरी पतोहू को कन्या हो, जबकि ऐसा नहीं था कि मेरे खानदान में पहले लड़कियाँ नहीं थीं। भगवान की मर्जी भी ऐसी हुई कि उन्होंने एक के बाद एक पाँच कन्याएँ हमारे घर में दे दीं।

लेखिका (मृदुला गर्ग) ने अपने खानदान की सुनी हुई ‘नामी चोर और माँ जी’ कथा को याद कर वर्णन किया है कि कभी किसी समय हवेली के सभी मर्द बाहर बारात में गये थे घर पर औरतें सज-धजकर नाच-गाने में लगी थीं। एक चोर किसी घर में चोरी की नीयत से पहुँचा किन्तु उसमें माँ जी थी वह आहट पाकर उसी से पानी पिलाने को कहने लगी। उसने कहा भी कि में चोर हूँ तब भी वे कहती रही कि हाथ धो लो और पानी लेते आओ। माँ जी ने उसी से पानी मँगवाया उसे भी आधा पिलाया और सीख दी कि तू मेरा बेटा हो गया अब चाहे चोरी कर या खेती कर।

सामाजिक मान्यताओं के विरुद्ध अपने परिवार के रुढी भंजक व्यक्तित्व और संस्कार का वर्णन करते हुए लेखिका ने लिखा है कि 15 अगस्त 1947 का जश्न जब मनाया गया तब मैं नौ वर्ष की थी। मुझे टाइफाइड हो गया था, इसलिए मुझे इण्डिया गेट नहीं जाने दिया गया। सब लोग चले गये और मेरे पिताजी ने मुझे रूसी उपन्यास ‘ब्रदर्स कारामजोव’ पकड़ा दिया कि इसे पढ़ो और चुपचाप पढ़ती रही। लेखिका ने अपनी अन्य चारों बहनों मंजुला भगत, चित्रा, अचला और रेणु तथा अपने एकमात्र भाई राजीव का परिचय दिया है।

मेरे संग की औरतें पाठ में लेखिका(मृदुला गर्ग) ने अपनी चौथे नम्बर की बहन रेणु के विषय में लिखा है कि वह जिद्दी या यों कहें कि स्वतंत्र विचारों वाली थी। स्कूल से लौटते समय उसको और अचला को गाड़ी लेने जाती थी लेकिन वह उसे छोड़कर पैदल आना पसन्द करती थी। सच ऐसा बोलती थी कि लोग समझते थे कि मजाक कर रही होगी। लेखिका ने अपनी बहन चित्रा और अचला के बारे में लिखा है चित्रा ने अपनी पसंद से शादी की थी। अचला ने अर्थशास्त्र और पत्रकारिता की पढ़ाई की थी। उन्होंने अपने बारे में लिखा है कि शादी के बाद में बिहार के छोटे कस्बे डालमिया नगर में रहती थी उस समय पति-पत्नी भी यदि फिल्म देखने जाते थे तो अलग-अलग पंक्ति में बैठते थे लेकिन मैंने अपने प्रयास से वहाँ की औरतों से नाटक में पराये मर्दों के साथ अभिनय भी कराया। इस तरह वह आदमी और औरत के बीच रूढ़ियों को समाप्त करने का प्रयास करती हैं।

लेखिका ने कैथोलिक विशप से बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए स्कूल खोलने का निवेदन किया किन्तु विशप के बिल्कुल स्पष्ट मना कर देने के बाद उन्होंने स्वयं अपने प्रयास से एक विद्यालय खुलवाया। इस जल प्रलय पाठ में लेखिका (मृदुला गर्ग) ने अपने स्वभाव से ज्यादा जिद्दी स्वभाव अपनी बहन रेणु को बताया है 1950 में दिल्ली में भारी बारिश हुई थी सभी नाले उफान पर थे सड़कों पर पानी था। मैंने रेणु को स्कूल जाने से मना किया लेकिन वह मुझसे भी ज्यादा जिद्दी थी वह दो मील पैदल चलकर स्कूल पहुँची थी और स्कूल बंद होने के कारण दो मील पैदल चलकर घर वापस आई।

मेरे संग की औरतें पाठ का प्रश्न उत्तर / mere sng ki aurte ka question answer 

1. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?

उत्तर– यह बात सत्य है कि लेखिका ने कभी भी अपनी नानी को देखा नहीं परंतु अपनी नानी के बारे में उसने जो कुछ भी सुना था, उसके कारण वह उनके व्यक्तित्व से प्रभावित थी। नानी की शादी विलायती ढंग से व्यतीत करने वाले बैरिस्टर के साथ हुई थी। विलायती ढंग के जीवन की शिकायत न करते हुए वह पारंपरिक ढंग से रहना स्वीकार किया।

2. लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?

उत्तर– लेखिका की नानी जब स्वयं को मौत के करीब पाया तो उन्हें अपने इकलौती बेटी के शादी की चिंता होने लगी इसलिए उन्होंने अपने पति के मित्र प्यारेलाल से वचन लिया कि वह उनकी बेटी की शादी किसी स्वतंत्रता-सेनानी से करवाएंगे। इस प्रकार उन्होंने अपनी बेटी का विवाह स्वतंत्रता-सेनानी के साथ करवाकर आजादी के आंदोलन में भागीदारी दी।

3. लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में 

(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर
(1)लेखिका की माँ मितभाषी और झूठ न बोलने वाली थी।
(2)लेखिका की माँ खद्दर की साड़ी पहनती थी।
(3)लेखिका की माँ बच्चों से प्यार नहीं करती थी और न ही उनके लिए खाना पकाती थी।
(4)लेखिका की माँ का अधिकांश समय संगीत सुनने पुस्तकें पढ़ने व साहित्य चर्चा में व्यतीत होता था। (5)लेखिका की माँ को घर वालों से सम्मान तथा बाहर वालों से प्रेम मिलता था।

(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।

उत्तर– लेखिका के दादी के घर का माहौल गांधीवाद से प्रभावित था। गांधीवाद से प्रभावित होने के कारण लेखिका की माँ को खद्दर की साड़ी पहननी पड़ती थी। जिस कारण उनकी कमर चनक जाती थी। लेखिका की दादी के घर वाले स्वतंत्र विचारों को मानने वाले थे। एक दूसरे की गोपनीय बात को कोई किसी से नहीं कहता था। किसी का पत्र आने पर बिना उससे पूछे पत्र को कोई नहीं खोलता था।

4. आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?

उत्तर– परदादी पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए मांगती हैं क्योंकि वह रूढ़िवादी परंपरा की विरोधी थी और लीक से हटकर चलने की उनकी आदत थी। वह संसार में प्रचलित परंपराओं के विरुद्ध चलने के कारण लड़की के जन्म की मन्नत मांगती हैं।

5. डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर– डराने-धमकाने उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है जैसे कि पहला उदाहरण लेखिका की माँ ने चोर को जो चोरी के उद्देश्य से उन्हीं के कमरे में घुसा था न तो डराया न ही धमकाया बल्कि अपनी सहज बातों से उसे चोरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। दूसरा उदाहरण लेखिका की बहन रेणु बार-बार यही कह रही थी कि मैं क्यों बीए की परीक्षा दूँ मैं नहीं दूँगी मेरे लिए क्या जरूरी है। उसके पिताजी ने उसे कहा कि बीए करो क्योंकि मैं कह रहा हूं । इस प्रकार के सहज भाव से वह बी.ए. की परीक्षा देने के लिए तैयार हो जाती है।

6. ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’- इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर– लेखिका जब कर्नाटक के बागलकोट में रहती हैं तो वह बच्चों की शिक्षा के लिए पास के कैथोलिक बिशप से स्कूल खोलने का निवेदन करते हैं । निवेदन अस्वीकार हो जाने के कारण वह स्वयं ही अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ सिखाने वाले प्राथमिक विद्यालय की नींव रखती हैं। बाद में चलकर इस विद्यालय को कर्नाटक सरकार द्वारा मान्यता मिल जाती है। यह विद्यालय सभी बच्चों के लिए निष्पक्ष रुप से शिक्षा देने का कार्य करता है। इस तरह लेखिका ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया।

7. पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?

उत्तर– पाठ के आधार पर मितभाषी, स्पष्टवादी, तथा कर्तव्यनिष्ठ इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है। हम लेखिका के प्रति श्रद्धावान हैं क्योंकि उसने विषम परिस्थितियों में जीवन व्यतीत किया है और लोगों को जीवन जीने के लिए प्रेरित किया है । डालमियानगर में नाटक मंडली बनाना तथा बागलकोट में प्राइमरी स्कूल खुलवाना लेखिका के प्रति हमारे श्रद्धा को प्रकट करता है।

8. ‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर-
लेखिका की बहन(रेणु)- लेखिका की बहन संवेदनशील तथा जिद्दी स्वभाव की है । स्कूल से बस आने पर भी वह बस में बैठकर नहीं आती है बल्कि पैदल चलकर घर आती है। बी.ए. की परीक्षा न देने की जिद करती है पिता द्वारा कहने पर तब वह परीक्षा देने के लिए तैयार होती है। एक दिन तेज वर्षा में भी सबके मना करने पर वह दो मील पैदल चलकर स्कूल जाती है और स्कूल बंद होने के कारण दो मिल चलकर घर वापस आती है।
लेखिका(मृदुला गर्ग)- लेखिका दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ाती थी । परंतु विवाह हो जाने के बाद उन्हें डालमियानगर तथा बागलकोट जैसे कस्बों में रहना पड़ा। वहां वह अकेले रहते हुए भी अपने प्रयासों से बहुत कुछ किया। जैसे नाटक मंडली बनाई, प्राइमरी विद्यालय खोलें। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि यह दोनों बहने अकेले चलकर भी बहुत कुछ करने में समर्थ थी क्योंकि अकेलेपन का मजा ही कुछ और होता है।

मेरे संग की औरतें के अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर / extra question of mere sng ki aurte 

प्रश्न ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ का उद्देश्य क्या है ?

उत्तर– ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ का उद्देश्य वैचारिक विभिन्नता होते हुए भी पारस्परिक एकता है।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ का संदेश क्या है ? 

उत्तर– ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ का संदेश यह है कि हमें अपने विचारों को महत्व रखते हुए दूसरे के विचारों का भी सम्मान करना चाहिए। किसी दूसरे व्यक्ति की गोपनीय बात को कभी किसी के सामने नहीं कहना चाहिए।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ की विधा क्या है ? 

उत्तर– ‘मेरे संग की औरतें’ की साहित्यिक विधा संस्मरण है।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ के लेखक कौन हैं? 

उत्तर– ‘मेरे संग की औरतें’ संस्मरण की लेखिका मृदुला गर्ग हैं।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका के बीमार होने पर उसके पिता ने क्या किया? 

उत्तर– ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका के बीमार होने पर उसके पिता ने उसे ब्रदर्स कारामजोव उपन्यास पकड़ा दिया।

प्रश्न- ब्रदर्स कारामजोव उपन्यास के लेखक कौन हैं? 

उत्तर– ब्रदर्स कारामजोव उपन्यास के लेखक दास्तोवस्की हैं।

प्रश्न- मृदुला गर्ग की कौन सी रचनाएं ब्रदर्स कारामजोव से प्रभावित हैं? 

उत्तर– मृदुला गर्ग के नाटक ‘जादू का कालीन’ मृदुला गर्ग की कहानियां ‘नहीं’ व ‘तीन किलो की छोरी’ मृदुला गर्ग के उपन्यास ‘कठगुलाब’ ब्रदर्स कारामजोव से प्रभावित हैं।

प्रश्न- मृदुला गर्ग के कितने भाई-बहन थे?

उत्तर– मृदुला गर्ग खुद को लेकर पाँच बहन एक भाई थे।

प्रश्न- मृदुला गर्ग के भाई का क्या नाम था? 

उत्तर– मृदुला गर्ग के भाई का नाम राजीव था।

प्रश्न- मृदुला गर्ग की बड़ी बहन का क्या नाम था? 

उत्तर– मृदुला गर्ग की बड़ी बहन का नाम मंजुल भगत था। मंजुल भगत का मूलनाम ‘रानी’ था.

प्रश्न- मृदुला गर्ग का मूलनाम क्या था? 

उत्तर– मृदुला गर्ग का मूलनाम उमा था।

प्रश्न- मृदुला गर्ग के भाई और बहन का नाम लिखिए। 

उत्तर– मृदुला गर्ग की बहन का नाम मंजुल भगत (रानी), चित्रा (गौरी), रेणु और अचला है जबकि भाई का नाम राजीव है।

प्रश्न- मृदुला गर्ग का जन्म कब और कहां हुआ था 

उत्तर– मृदुला गर्ग का जन्म 25 अक्टूबर 1938 को कोलकाता में हुआ था।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका के नाना नानी से किस प्रकार भिन्न थे? 

उत्तर– ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका की नानी अनपढ़’ पर्दा करने वाली और परंपरावादी औरत थी जबकि लेखिका के नाना विलायत से बैरिस्टरी पढ़कर आए हुए अंग्रेजों के प्रशंसक थे।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका आजादी के जश्न में क्यों नहीं शामिल हो सकी? 

उत्तर– देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। चारों तरफ देश की आजादी के जश्न का वातावरण छाया हुआ था। दुर्भाग्य से इसी समय लेखिका टाइफाइड बुखार से ग्रसित थी जिस कारण वह जश्न में शामिल नहीं हो सकी।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका के परिवार में कौन-कौन किस-किस नाम से साहित्य रचना करता था? 

उत्तर– लेखिका के परिवार में उसकी बड़ी बहन रानी ‘मंजुल भगत’ के नाम से, लेखिका जिसका नाम उमा था ‘मृदुला गर्ग के नाम से, सबसे छोटी बहन अचला नाम से, और सबसे छोटा भाई राजीव नाम से साहित्य रचना करते थे।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में परिवार के कितने सदस्य साहित्य रचना करते थे?

उत्तर– मेरे संग की औरतें पाठ में परिवार के कुल चार सदस्य लेखन कार्य या साहित्य रचना करते थे।

प्रश्न- मेरे संग की औरतें पाठ में लेखिका की नानी ने अपने अंतिम समय में किससे और क्या वचन लिया? 

उत्तर– मेरे संग की औरतें पाठ में लेखिका की नानी ने पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा से यह वचन लिया कि वह उनकी बेटी की शादी किसी स्वतंत्रता सेनानी से करवाएंगे।

प्रश्न- :मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका शादी के बाद कहां-कहां रही? 

उत्तर– शादी के बाद लेखिका बिहार के छोटे से कस्बे डालमियानगर में और कर्नाटक के बागलकोट में रही।

प्रश्न- ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में पाँचों बहनों में क्या समानता थी? 

उत्तर– शादी के बाद पाँचों बहनों ने अपने घर को परंपरागत तरीके से नहीं चलाया परंतु परिवार को तोड़ने का भी काम नहीं किया। शादी करने के बाद अंतिम समय तक उसे निभाया।

प्रश्न- जिस लड़के से लेखिका के माँ का विवाह हुआ वह कौन था? 

उत्तर– जिस लड़के से लेखिका के माँ का विवाह हुआ वह पढ़ा-लिखा तथा होनहार था आर्थिक दृष्टि से बहुत सम्पन्न नहीं था। स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण आई.सी.एस. की परीक्षा मे नहीं बैठने दिया गया।

मेरे संग की औरतें का शब्दार्थ 

परदानशी शब्द का अर्थ- परदा करने वाली स्त्री,
मुँहजोर शब्द का अर्थ- बहुत बोलने वाली
फरमाबरदार शब्द का अर्थ- आज्ञाकारी
मुस्तैद शब्द का अर्थ- तैयार, तत्पर, सुस्त
फजल शब्द का अर्थ- अनुग्रह दया
अपरिग्रह शब्द का अर्थ- संग्रह न करना
बदस्तूर शब्द का अर्थ- नियम से
मिराक शब्द का अर्थ- मानसिक रोग
मोहलत शब्द का अर्थ- फुर्सत, अवकाश
फारिग शब्द का अर्थ-  निश्चिन्त या कार्य से निवृत्त
खरामा-खरामा शब्द का अर्थ- धीरे धीरे
इसरार शब्द का अर्थ- आग्रह
माकूल शब्द का अर्थ- मुनासिब या अच्छा
जाहिर शब्द का अर्थ- स्पष्ट
इजहार शब्द का अर्थ- व्यक्त करना या प्रकट करना
फायदा शब्द का अर्थ– लाभ
रजामंदी शब्द का अर्थ– स्वीकार करना
ख्वाहिश शब्द का अर्थ– इच्छा
अभिभूत शब्द का अर्थ —वशीभूत
दरअसल शब्द का अर्थ- वास्तव में
जुनून शब्द का अर्थ- सनक
नजाकत शब्द का अर्थ- सुकुमाता
लिहाज शब्द का अर्थ- व्यवहार
मर्म शब्द का अर्थ- रहस्य
बाशिंदों शब्द का अर्थ- निवासी
इजाजत शब्द का अर्थ- आज्ञा
जश्न शब्द का अर्थ- समारोह
अकबकाया शब्द का अर्थ- घबराया
आरजू शब्द का अर्थ- इच्छा
जुस्तजू शब्द का अर्थ- तलाश या खोज
जुगराफिया शब्द का अर्थ- भूगोल या नक्शा
पोशीदा शब्द का अर्थ- रखना या छिपाना

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