एक तिनका का सार,भावार्थ, प्रश्न उत्तर,अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा 7

इस पोस्ट में हमलोग एक तिनका कविता का सारांश, एक तिनका कविता का भावार्थ, एक तिनका कविता का प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे| यह कविता क्लास 7 हिन्दी वसंत भाग 2 के चैप्टर 13 से लिया गया है|

एक तिनका कविता का सारांश yek tinaka summary  

‘एक तिनका’ कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध द्वारा लिखित श्रेष्ठ कविता हैं। इस कविता में कवि ने यह दर्शाया है कि हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि जिसको छोटा समझकर हम घमंड करते हैं कभी-कभी वही हमारे घमंड को तोड़ देता है। कवि कहता है कि एक दिन मैं अपने छत के किनारे खड़ा था तभी अचानक दूर से एक तिनका उड़ता हुआ आया और मेरे आंख में पड़ गया । मैं दर्द से कराहने लगा और बहुत परेशान हो गया। जब लोगों ने कपड़े की मूँठ बनाकर मेरे आंख पर लगाया तब तिनका निकला और दर्द कुछ कम हुआ। अर्थात मेरे घमंड को एक छोटे से तिनके ने चूर-चूर कर दिया।

एक तिनका कविता का भावार्थ व व्याख्या / explain of yek tinaka kavita 

मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ, 
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा। 
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ, 
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।
एक तिनका कविता का भावार्थ– एक दिन कवि अपने छत की दीवार के निकट बैठकर स्वयं पर घमंड कर रहा था। वह संसार में खुद को सबसे बड़ा समझ रहा था। उसे अपने बड़े और शक्तिशाली होने का घमंड था। वह सोच रहा था कि दुनिया में उसे कष्ट देने वाला या आहत करने वाला कोई नहीं है। तभी अचानक हवा के एक झोंके से उड़कर एक तिनका उसकी आँख में आकर पड़ गया। 
मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा, 
लाल होकर आँख भी दुखने लगी। 
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे, 
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।
एक तिनका कविता का भावार्थ आँख में तिनका पड़ते ही कवि को बहुत पीड़ा हुई। वह दर्द से दुखी हो उठा। उससे अपनी बेचैनी सही नहीं जा रही थी। दर्द की अधिकता से उसकी आँखें भी लाल हो उठीं। कवि का अपने बड़े और शक्तिशाली होने का झूठा घमंड टूट गया। तब उसने पाया कि वह अन्य लोगों की सहायता के बिना अपनी रक्षा करने में असमर्थ है। यह अनुभव होते ही उसका घमंड दूर हो गया। तब वह विवश होकर अपने आस-पास के लोगों से सहायता की याचना करने लगा। लोगों ने कपड़े के मूँठ की सहायता से उसकी आँख से तिनका निकालने का प्रयास किया। 
जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब ‘समझ’ ने यो मुझे ताने दिए। 
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा, 
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
एक तिनका कविता का भावार्थ अनेक प्रयासों से लोगों की सहायता लेने के बाद तिनका जब कवि की आँख से निकल गया, तब कवि को समझ आ चुकी थी कि दुनिया में कोई बड़ा या छोटा नहीं है। जो व्यक्ति स्वयं पर घमंड करता है उसका घमंड चूर करने के लिए छोटी-से-छोटी वस्तु ही पर्याप्त है। कहने का तात्पर्य यह कि मनुष्य को कभी भी स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए।

एक तिनका कविता का प्रश्न उत्तर yek tinka question answer 

कविता से

1. नीचे दी गई कविता की पक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए। 
जैसे- 
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में एक तिनका पड़ा। 
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे लोग- कपड़े की मूँठ देने लगे। 

(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा-

उत्तर-एक दिन जब मैं छत की मुंडेर पर खड़ा था।

(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी-

उत्तर– आँख लाल हो गई और दर्द करने लगी।

(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी 

उत्तर– मेरे अंदर जो घमंड के भाव थे चुपके से भाग गए।अर्थात् मेरा घमंड दूर हो गया।

(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया

उत्तर– जब किसी तरह से तिनका निकल गया।

2. ‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?

उत्तर– एक तिनका कविता में कवि ने एक छोटे से तिनके का जिक्र करते हुए बताया है कि एक दिन जब वह अपनी छत पर खड़ा था तो एक तिनका उड़कर आया और उसकी आँख में पड़ गया कवि को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था वह बहुत प्रयास किया लेकिन तिनका नहीं निकला ।जब लोगों के सहयोग से तिनका निकला तब कवि का घमंड दूर हो गया।

3. आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?

उत्तर– आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी को बहुत कष्ट हुआ। घमंडी कवि की आँख लाल होकर दुखने लगी और वह दर्द से बेचैन हो गया। 

4. घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?

उत्तर– घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए लोगों ने कपड़े की मूँठ बनाकर आँख में से तिनका निकाला। इस तरह से घमंडी लेखक की सारी एँठ निकल गई।

5. ‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी 

ऐंठता तू किसलिए इतना रहा.
एक तिनका है बहुत तेरे लिए। 

इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है 

तिनका कबहुँ न निदिए, पाँव तले जो होय। 
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।। 

इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।

उत्तर
★ उपर्युक्त दोनों काव्यांशो में यह समानता है कि छोटा तिनका भी आँख में पड़ जाए तो मनुष्य को बेचैन कर देता है। 
★एक तिनका कविता में कवि ने बताया है कि छोटे से तिनके में मनुष्य का घमंड तोड़ने की शक्ति होती है। जबकि कबीर ने कहा है कि तिनके को कभी भी पाँव के नीचे मत दबाओ क्या पता कब वह उड़कर आंख में पड़ जाए। अर्थात छोटा व्यक्ति भी कभी-कभी नुकसान पहुंचा सकता है।

एक तिनका कविता का भाषा की बात 

किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे-धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘दम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए।

छप से            टप से            थर्र से              फुर्र से सन् से 

(क) मेंढक पानी में……… कूद गया। 
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद….. चू गई। 
(ग) शोर होते ही चिड़िया……. उड़ी। 
(घ) ठंडी हवा…….. से गुजरी, मैं ठंड में……..थर्र से काँप गया।

उत्तर
() मेंढक पानी में छप से कूद गया। 
() नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद टप चू गई। 
() शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी। 
() ठंडी हवा सन् से गुजरी, मैं ठंड में थर्र से काँप गया।

एक तिनका कविता के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न- एक तिनका कविता से क्या संदेश मिलता है? 

उत्तर– एक तिनका कविता से यह संदेश मिलता है कि मनुष्य को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। 

प्रश्न- एक तिनका कविता का उद्देश्य क्या है? 

उत्तर– एक तिनका कविता का उद्देश्य यह है कि मनुष्य को घमंड न करते हुए छोटे-बड़े, गरीब-अमीर सबको समान दृष्टि से देखते हुए व्यवहार करना चाहिए।

प्रश्न- एक तिनका कविता के कवि (लेखक) कौन है?

उत्तर– एक तिनका कविता के लेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध हैं।

प्रश्न- एक तिनका कविता में तिनका किसका प्रतीक है?

उत्तर- एक तिनका कविता में तिनका निम्नवर्ग का या गरीब वर्ग का प्रतीक है।

प्रश्न- एक तिनका कविता में ‘मैं’ किसका प्रतीक है? 

उत्तर– एक तिनका कविता में ‘मैं’ अहंकार अर्थात कवि का प्रतीक है।

प्रश्न- एक तिनका कविता में कवि कहां खड़ा है? 

उत्तर- एक तिनका कविता में कवि अपने छत की मुंडेर पर या आंगन में खड़ा है।

प्रश्न-एक तिनका कविता में ‘एँठ बेचारी दबे पांव भागी’ शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर– एक तिनका कविता में एँठ बेचारी दबे पांव भागी का अर्थ है घमंड चूर होना।

प्रश्न- ढ़ब शब्द का अर्थ बताइए।

उत्तर– एक तिनका कविता में ढ़ब शब्द का अर्थ उपाय या ढंग बताया गया है।

प्रश्न- एक तिनका कविता में कवि की समझ ने कवि को क्या चेतावनी दी? 

उत्तर– एक तिनका कविता में कवि की समझने कवि की चेतावनी दी कि तुम इतना घमंड क्यों करते हो एक तिनका ही तुम्हारा घमंड तोड़ने के लिए पर्याप्त है।

एक तिनका पाठ का शब्दार्थ 

मुंडेर शब्द का अर्थ छत का किनारा 
ऐंठा शब्द का अर्थ अभिमान से तना हुआ 
घमंड शब्द का अर्थ अभिमान 
ढ़ब शब्द का अर्थ तरीका 
झिझक शब्द का अर्थ शर्म 
बेचैन शब्द का अर्थ व्याकुल 
दबे पांव भागी मुहावरे का अर्थ चुपचाप चली गई 
दुखने लगी शब्द का अर्थ दर्द होने लगा
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