नेताजी का चश्मा का सारांश, प्रश्न उत्तर, अन्य प्रश्न कक्षा-10

नेताजी का चश्मा का सारांश 

चारों ओर सीमाओं से घिरे भूभाग का नाम ही देश नहीं होता। देश बनता है उसमें रहने वाले सभी नागरिकों, नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, पशु-पक्षियों से और इन सबसे प्रेम करने तथा इनकी समृद्धि के लिए प्रयास करने का नाम देशभक्ति है। नेताजी का चश्मा कहानी कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित करती है जो इस देश के निर्माण में अपने-अपने तरीके से सहयोग करते हैं। कहानी यह कहती है कि बड़े ही नहीं बच्चे भी इसमें शामिल हैं।

नेताजी का चश्मा कहानी के आरम्भ में बताया गया है कि कहानी के मुख्य पात्र हालदार साहब को कंपनी के काम से उस कस्बे  से गुजरना पड़ता था, जिस कस्बे से  यह कहानी जुड़ी हुई है। उस छोटे से कस्बे में कुछ पक्के मकान स्कूल, सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो छोटे सिनेमाघर और एक नगरपालिका का कार्यालय था। नगरपालिका द्वारा विकास कार्य होते रहते थे। एक योग्य प्रशासनिक अधिकारी ने नगर के चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्रबोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। प्रतिमा बनाने वाले कलाकारों की खोज, अधिक लागत लगने और बोर्ड का शासनकाल कम रहने के कारण किसी स्थानीय कलाकार के रूप में यह कार्य स्कूल के ही ड्राइग अध्यापक को दिया गया। अध्यापक ने भी महीने भर में मूर्ति बना डालने का आश्वासन दे दिया।

यहाँ बताया गया है कि स्कूल अध्यापक ने नेताजी सुभाष चंद्रबोस की छाती तक की दो फुट की संगमरमर की मूर्ति बनाई। उस मूर्ति में नेताजी सुंदर, भोले व आकर्षक लग रहे थे। वह मूर्ति देश के लिए कुर्बानी देने की प्रेरणा देती प्रतीत हो रही थी। उन्हें सचमुच का चश्मा पहनाया गया था। हालदार साहब ने जब पहली बार उस प्रतिमा को देखा तो वे रोमांचित हो गया कि इतना अच्छा उपाय किया गया है। वे वहाँ से जाने के बाद भी उसी के विषय में सोचते रहे। उन्हें लगा कि आज भी लोग देश भक्ति को अपने हृदय में बसाए हुए हैं जिस कारण वे देश के वीरों का इस तरह से सम्मान करते हैं। दूसरी तरफ आज देश के विषय में बात करने वाले का सर्वत्र उपहास ही उड़ाया जाता है। दूसरी बार हालदार साहब वहाँ गए तो उन्हें चश्मा बदला हुआ मिला। यह देखकर उन्हें जानने की इच्छा हुई की मूर्ति का चश्मा कैसे बदल्रहा है |

हालदार साहब जब भी कस्बे में आते नेताजी की प्रतिमा को अवश्य देखते। हर बार उन्हें नेताजी का चश्मा बदला हुआ मिलता। एक दिन पान वाले से पूछने पर उन्हें पता चला कि कैप्टन नाम का चश्मे बेचने वाला व्यक्ति मूर्ति पर चश्मा लगाता है और जब किसी ग्राहक को वैसा-चश्मा चाहिए तो वह उस चश्मे को उतार लेता है और दूसरा पहना देता है। असली चश्में के विषय में पूछने पर पता चलता है ड्राइंग मास्टर चश्मा बनाना भूल गया। फिर हालदार साहब ने मास्टर की मानसिक स्थिति के विषय में कई तरह से सोचा।

नेताजी का चश्मा कहानी में हालदार साहब पानवाले से यह भी पूछते हैं कि क्या चश्में वाला कैप्टन नेताजी का कोई साथी है या आजाद हिन्द फौज का कोई भूतपूर्व सैनिक है? पानवाला उपेक्षा के भाव में बताता है कि वह लंगड़ा और पागल है। वह कैसे फौज में जा सकता है। उसे सामने से चश्मा वाला भी आता दिखाई देता है। जिसे पानवाला हालदार साहब को भी दिखाता है। हालदार साहब को देशभक्तों का ऐसा मजाक अच्छा नहीं लगा। उन्होंने देखा कि एक कमजोर लगड़ा आदमी गांधी टोपी और काला चश्मा लगाए एक छोटी-सी लोहे की पेटी और एक बॉस पर चश्मे लटकाए आ रहा था। वह फेरी लगाकर चश्मे बेचता था। हालदार साहब उसे कैप्टन बताने की वृत्ति में नहीं है और न ही वहाँ ज्यादा रुकने का उनके पास समय था।

लगभग दो वर्ष तक हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते रहे और चश्में का बदलना देखते रहे। एक दिन नेताजी की मूर्ति पर किसी भी तरह का चश्मा नहीं था और सभी दुकाने भी बंद थीं। अगली बार जब हालदार साहब आए तो पानवाले से चश्मा न होने कारण पूछने पर पता चला कि कैप्टन मर गया था। वह चुपचाप वहाँ से वापस आ गए। इस बात को सोचकर दुखी हो गए कि अपना सब कुछ बलिदान करने वालों पर लोग हँसते हैं और अपने क्षुद्र स्वार्थ निकालने के लिए बिकने तक को तैयार रहते हैं। कुछ दिन बाद हालदार साहब जब फिर उधर से गुजरे तो यह निश्चय कर रखा था कि वे न तो वहाँ रूकेंगे, न पान खाएंगे और न ही मूर्ति की तरफ देखेंगे। लेकिन जैसे ही मूर्ति के पास पहुँचे वे जीप को रूकवाने के लिए चिल्लाए और चलती चीप से कूदकर मूर्ति के सामने सीधे खड़े हो गए। मूर्ति पर किसी छाट बच्च न सरकड का चश्मा बनाकर लगा रखा था। बच्चा का दश पर कुर्बान वीरों और देश के प्रति भक्ति की इस भावना पर हालदार साहब भावुक हो उठे|

नेताजी का चश्मा का प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1 सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते ?

उत्तर– सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मेवाले को कैप्टन इसलिए कहते थे, क्योंकि— 
क) कैप्टन चश्मेवाले में नेताजी के प्रति अगाध लगाव एवं श्रद्धा भाव था। 
ख) वह शहीदों एवं देशभक्तों के अलावा अपने देश से उसी तरह लगाव रखता था जैसा कि फौजी व्यक्ति रखते हैं। 
ग) उसमें देश प्रेम एवं देश भक्ति का भाव कूट-कूट कर भरा था। 
घ) वह नेता जी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर दुखी होता था।

प्रश्न-2- हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा–

प्रश्न-क-हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

उत्तर– हालदार साहब इसलिए मायूस हो गए थे क्योंकि वे सोचते थे कि कस्बे के चौराहे पर मूर्ति तो होगी पर उसकी आंखों पर चश्मा ना होगा। अब कैप्टन तो जिंदा है नहीं, जो मूर्ति पर चश्मा लगाए।

प्रश्न-ख- मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

उत्तर-मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि देश में देशप्रेम एवं देशभक्ति समाप्त नहीं हुई है बच्चों द्वारा किया गया कार्य स्वस्थ भविष्य का संकेत है। उनमें राष्ट्रप्रेम की बीज अंकुरित हो रहे हैं।

प्रश्न-ग- हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर– हालदार साहब सोच रहे थे कि कैप्टन के न रहने से नेता जी की मूर्ति चश्माविहीन हो परंतु जब यह देखा की मूर्ति की आंखों पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ है तो उनकी निराशा आशा में बदल गई। उन्होंने समझ लिया कि युवा पीढ़ी में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना भरी हुई है यह बात सोच कर वे भावुक हो गए। 

प्रश्न-3- आशय स्पष्ट कीजिए

“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्ती-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढती है”

उत्तर– उक्त पंक्ति का आशय यह है कि बहुत से लोगों ने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। कुछ लोग उनके बलिदान की प्रशंसा न करके ऐसे देश भक्तों का उपहास उड़ाते हैं। लोगों में देशभक्ति की ऐसी घटती भावना निश्चित रूप से निंदनीय है। वे अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए देशद्रोह करने तक को तैयार रहते हैं। 

प्रश्न-4- पान वाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर– पानवाला स्वभाव से खुशमिजाज काला मोटा व्यक्ति है उसकी तोंद निकली हुई है और पान खाता रहता है जिससे उसकी बत्तीसी लाल-काली होती रहती है। जब वह हंसता है तो उसकी तोंद थिरकने लगती है। वाक् पटु है जो व्यंग्यात्मक बातें कहने से भी नहीं चूकता है। 

प्रश्न-5- “वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!”

कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर-“वह लंगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!” पानवाला कैप्टन चश्मेवाले के बारे में कुछ ऐसी ही घटिया सोच रखता है वास्तव में कैप्टन इस तरह की उपेक्षा का पात्र नहीं है उसका इस तरह मजाक उड़ाना तनिक भी उचित नहीं है। वास्तव में कैप्टन उपहास का नहीं सम्मान का पात्र है।

नेताजी का चश्मा की रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न–6- निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं

प्रश्न-क- हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते

उत्तर– हालदार साहब अपने कर्म के प्रति सजग तथा पान खाने के शौकीन थे उनके मन में शहीदों और देशभक्तों के प्रति आदर की भावना थी वे चाहते हैं कि युवा पीढ़ी में यह भावना और भी प्रबल हो

प्रश्न-ख- पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आंखें पोछता हुआ बोला- साहब! कैप्टन मर गया

उत्तर– पानवाला कैप्टन जैसे व्यक्ति की मृत्यु से दुखी होकर हालदार को उसकी मृत्यु की सूचना देता है ऐसा करते भी व्हिस्की आंखें भर आती हैं

प्रश्न-ग- कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

उत्तर– कैप्टन के हृदय में देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। वह नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर आहत होता था और उस कमी को पूरा करने के लिए अपने सीमित आय से भी चश्मा लगा दिया करता था ताकि नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा ना दिखे। 

प्रश्न-8- कस्बों शहरों महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन सा हो गया है–

प्रश्न-क- इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

उत्तर– लोग ऐसे लोगों के कार्यों को जाने तथा उनसे प्रेरित हो लोग ऐसे लोगों को न भूलें तथा उनकी चर्चा करते हुए युवा पीढ़ी को भी उनसे परिचित कराएं।

प्रश्न-ख- आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर– मैं अपने इलाके के चौराहे पर चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगवाना चाहूंगा ताकि लोग गो में विशेषकर युवा वर्ग को अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिले 

प्रश्न-ग- उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों की क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

उत्तर– हम उसकी साफ-सफाई / मुर्ती के प्रति सम्मान भाव बनाए रखें/ उस व्यक्ति के कार्यों की वर्तमान में प्रासंगिकता बताते हुए उनसे प्रेरित होने के लिए लोगों से कहें/ साल में एक बार उनके जीवन से संबंधित आयोजन किए जाएं जिससे लोग उनके जीवन से सीख लेकर प्रेरित हो सकें।

प्रश्न-9- सीमा पर तैनात फौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे- सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।

उत्तर– सीमा पर तैनात फौजी विशिष्ट रूप से देश प्रेम का परिचय देते हैं। उनका देश प्रेम अत्यंत उच्च कोटि का और अनुकरणीय होता है, परंतु हम लोग भी विभिन्न कार्यों के माध्यम से देश प्रेम को प्रकट कर सकते हैं। ये काम है- सरकारी संपत्ति को क्षति न पहुंचाना, बढ़ते प्रदूषण को रोकने में मदद करना, अधिकाधिक वृक्ष लगाना, पर्यावरण तथा अपने आसपास की सफाई रखना, पानी के स्रोतों को दूषित होने से बचाना, वर्षा जल का संरक्षण करना, बिजली की बचत करना, कूड़ा इधर-उधर न फेंकना, नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने का प्रयास करना, शहीदों एवं देशभक्तों के प्रति सम्मान रखना ,लोगों के साथ मिलजुल कर रहना आदि।

नेताजी का चश्मा का भाषा अध्ययन

प्रश्न-12- निम्निखित वाक्यों से निपात छांटिए और उनसे नए वाक्य बनाएये-

प्रश्न-क- नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करतीं भी रहती थी |

उत्तर
सुमन तोयहीं रहेगी | 
उपवन में गुलाब भी खिले थे|

प्रश्न-ख- किसी स्थानीय कलाकार को हि अवसर देने का निर्णय किया गया होगा |

उत्तर– 
यह बाघ काही चित्र है| 
आज मैं हिंदी ही पढ़ूगा|

प्रश्न-ग- यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था|

उत्तर- 

आज तो परीक्षाएं समाप्त हो जाएंगी| 
यह तो घायल हो गया है|

प्रश्न-घ- हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए |

उत्तर- 
इस साल भी कम वर्षा हुई| 
अब प्याज भी महंगी हो गई है|

प्रश्न-ड- दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले से उस कसबे से गुजरते रहे |

उत्तर- कल तक बहुत सर्दी थी| 

प्रश्न-13- निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए –

प्रश्न-क वह अपनी छोटी सी दूकान में उपलब्ध गिने चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है | कर्मवाच्य में बदलिए

उत्तर-उसके द्वारा अपनी छोटी सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने भ्रेमों में से कोई एक नेता जी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता था।

प्रश्न-ख-पानवाला नया पान खा रहा था | कर्मवाच्य में बदलिए

उत्तर- पानवाले द्वारा नया पान खाया जा रहा था|

प्रश्न-ग- पानवाले ने साफ बता दिया था| कर्मवाच्य में बदलिए

उत्तर- पानवाले द्वारा साफ बता दिया गया था|

प्रश्न-घ- ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे| कर्मवाच्य में बदलिए

उत्तर- ड्राइवर द्वारा जोर से ब्रेक मारे गए |

प्रश्न-ड- नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया| कर्मवाच्य में बदलिए

उत्तर- नेताजी द्वारा देश के लिए सब कुछ त्याग दिया गया|

प्रश्न-च- हालदार साहब ने चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया| कर्मवाच्य में बदलिए

उत्तर- हालदार साहब द्वारा चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया|

प्रश्न-14- निचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए

प्रश्न-क – माँ बैठ नहीं सकती| भाववाच्य में बदलिए

उत्तर- माँ से बैठा नहीं जाता

प्रश्न-ख- माँ देख नहीं सकती| भाव वाच्य में बदलिए

उत्तर- माँ से देखा नहीं जाता|

प्रश्न-ग- चलो, अब सोते हैं| भाव वाच्य में बदलिए

उत्तर- चलो, अब सोया जाय|

प्रश्न-घ- माँ रो भी नहीं सकती | भव वाच्य में बदलिए

उत्तर- माँ से रोया भी नहीं जाता 

‘नेताजी का चश्मा’ का अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न/ नेताजी का चश्मा का अन्य प्रश्न

प्रश्न नेताजी का चश्मा पाठ का उद्देश्य क्या है

उत्तर- नेताजी का चश्मा का उद्देश्य कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित या चित्रित करना है।

प्रश्न- नेताजी का चश्मा का संदेश क्या है?

उत्तर- नेताजी का चश्मा पाठ का संदेश यह है कि देश का कोई भी नागरिक को चाहे वह बड़ा हो, चाहे वह छोटा हो, चाहे वह गरीब हो, चाहे वह अमीर हो प्रत्येक व्यक्ति को देश के स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहिए।

प्रश्न- नेताजी का चश्मा के लेखक कौन है?

उत्तर- नेताजी का चश्मा के लेखक स्वयं प्रकाश हैं। 

प्रश्न- नेताजी का चश्मा की साहित्यिक विधा क्या है?

उत्तर- नेताजी का चश्मा की साहित्यिक विधा कहानी है।

प्रश्न-1- नगर पालिका द्वारा किसकी मूर्ति को कहां लगवाने का निर्णय लिया ?

उत्तर- नगरपालिका द्वारा नेता जी की मूर्ति को कस्बे के बीचोबीच चौराहे पर लगवाने का फैसला किया गया। ताकि हर आने जाने वाले की दृष्टि उस पर पड़ सकें।

प्रश्न-2- जिस कस्बे में मूर्ति लगवाई जानी थी उसका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर- जिस कस्बे में नेताजी की मूर्ति लगाई जानी थी वह बहुत बड़ा नहीं था। वहां कुछ मकान पक्के थे। एक छोटा सा बाजार था। वहीं लड़के लड़कियों का एक स्कूल था और सीमेन्ट का एक छोटा कारखाना भी था। दो ओपन एयर सिनेमाघर और नगरपालिका थे। 

प्रश्न-3- मूर्ति बनवाने का कार्य स्थानीय ड्राइंग मास्टर को क्यों सौंपना पड़ा ?

उत्तर-मूर्ति बनवाने का कार्य स्थानीय ड्राइंग मास्टर को इसलिए सौंपना पड़ा क्योंकि अधिकारी ने फाइलों और मूर्ति संबंधी अन्य बातों के निर्णय में बहुत अधिक समय ले लिया।

प्रश्न-4- नगरपालिका मूर्ति लगवाने में ठोस निर्णय क्यों नहीं ले पा रही ?

उत्तर- नगरपालिका मूर्ति के संबंध में ठोस निर्णय इसलिए नहीं ले पा रही थी क्योंकि नगर पालिका को अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी न थी उन्होंने पत्र व्यवहार में काफी समय निकाल दिया। 

प्रश्न-5- नेता जी की मूर्ति का संक्षिप्त चित्रण कीजिए।

उत्तर- कस्बे के चौराहे पर नेताजी की जो मूर्ति लगाई गई थी वह टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक 2 फुट ऊंची थी। संगमरमर की बनी इस मूर्ति में नेताजी सुंदर लग रहे थे।

प्रश्न-6- नेता जी की मूर्ति में कौन सी कमी खटकती ?

उत्तर- नेता जी की मूर्ति पर चश्मे की कमी खटकती थी चश्मा न होने से नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा सा प्रतीत होता था। 

प्रश्न-7- मूर्ति की कमी को कौन और किस तरह पूरा करने का प्रयास करता ?

उत्तर- चश्मा विहीन मूर्ती की कमी को पूरा करने का प्रयास कैप्टन चश्मेवाला करता था। वह नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगा दिया करता था।

प्रश्न-8- कैप्टन कौन ? उसका व्यक्तित्व नाम के विपरीत कैसे था?

उत्तर- कैप्टन फेरी लगाकर चश्मे बेचने वाला एक मरियल और लंगड़ा सा व्यक्ति था। कैप्टन नाम से लगता था कि वह फौजी या सिपाही होगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था।
कैप्टन नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगा देता था पर किसी ग्राहक द्वारा वैसा ही चश्मा माँगे जाने पर उतार कर उसे दे देता था और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा दिया करता था।

प्रश्न-9- ‘नेताजी  का चश्मा पाठ’ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश देने का प्रयास किया है?

उत्तर- ‘नेतजी का चश्मा’ नामक पाठ के माध्यम से लेखक ने देशवासियों विशेषकर युवा पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम एवं देश भक्त की भावना मजबूत बनाए रखने के साथ-साथ शहीदों का सम्मान करने का भी संदेश दिया है।

प्रश्न-10- हालदार साहब के लिए कैप्टन सहानुभूति का पात्र था? इसे आप कितना उचित समझते हैं?

उत्तर- गरीबी झेलने के बाद भी चश्मे वाले में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी इस कारण हालदार साहब उससे सहानुभूति रखते हैं उनके इस विचार से मैं पूर्णतया सहमत हूं।

प्रश्न-11- बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या प्रदर्शित करता ?

उत्तर- बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रदर्शित करता है कि बच्चों की मन में देशप्रेम और देशभक्ति के बीज अंकुरित हो गए हैं। उन्हें यह ज्ञान हो गया है कि शहीदों और देशभक्तों का आदर करना चाहिए।

प्रश्न- स्वयं प्रकाश का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर- स्वयं प्रकाश का जन्म सन 1947 में इंदौर के मध्य प्रदेश में हुआ था।

प्रश्न- स्वयं प्रकाश की अन्य कहानियों के नाम लिखिए।

उत्तर- स्वयं प्रकाश की कहानियां निम्नलिखित हैं- सूरज कब निकलेगा, आएंगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी और संधान प्रमुख कहानी संग्रह है।’बीच में विनय’ और ‘ईंधन’ स्वयं प्रकाश के प्रमुख उपन्यास हैं

नेताजी का चश्मा का शब्दार्थ / नेताजी का चश्मा पाठ का शब्दार्थ 

वाकई शब्द का क्या अर्थ है वाकई का अर्थ है सचमुच 
कौम का क्या अर्थ है कौम का अर्थ है जाति या वर्ग 
मरियल का क्या अर्थ है मरियल का अर्थ है अत्यधिक दुबला-पतला
द्रवित का क्या अर्थ है द्रवित का अर्थ है पिघला हुआ 
आहत का क्या अर्थ है आहत का अर्थ है घायल
दरकार का क्या अर्थ है दरकार का अर्थ है जरूरत 
प्रफुल्लता का क्या अर्थ है प्रफुल्लता का अर्थ है प्रसन्नता 
होम करना मुहावरे का क्या अर्थ है होम करना मुहावरे का अर्थ है न्योछावर कर देना
आँखें भर आई मुहावरे का क्या अर्थ है आंखें भर आई मुहावरे का अर्थ है आंखों में आंसू आ गए
निष्कर्ष का क्या अर्थ है निष्कर्ष का अर्थ है निर्णय 
गिराक का क्या अर्थ है गिराक का अर्थ है ग्राहक
दुर्दमनीय का क्या अर्थ है दुर्दमनीय का अर्थ है जिसे दबाना कठिन हो या जिसका दमन करना कठिन हो 
भूतपूर्व का क्या अर्थ है भूतपूर्व का अर्थ है बीते समय का 
कमसिन का क्या अर्थ है कमसिन का अर्थ है सुंदर 
वगैरह का का क्या अर्थ है वगैरह का अर्थ है आदि 
ऊहापोह का क्या अर्थ है ऊहापोह का अर्थ है करें या ना करें का निर्णय न कर पाना
सिलसिला का क्या अर्थ है सिलसिला का अर्थ है क्रम 
प्रतिमा का क्या अर्थ है प्रतिमा का अर्थ है मूर्ति
तोंद का क्या अर्थ है तोंद का अर्थ है पेट
थिरकना का क्या अर्थ है थिरकना का अर्थ है हिलना
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