कामचोर कहानी का सारांश, प्रश्न उत्तर, अभ्यास प्रश्न कक्षा 8

इस पोस्ट में हमलोग कामचोर कहानी का सारांश, कामचोर कहानी का प्रश्न उत्तर पढ़ेंगे| कामचोर कहानी क्लास 8 हिन्दी वसंत भाग 3 के चैप्टर 10 से लिया गया है|

कामचोर कहानी का सारांश / kamchor kahani summary 

“कामचोर’ इस्मत चुगताई द्वारा लिखी गई एक श्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी में लेखिका ने कामचोरी के वास्तविक रूप को लोगों के सामने  प्रस्तुत किया है। कमचोर किस प्रकार किसी काम को करते हैं और उसका क्या परिणाम निकलता है-यह इस कहानी में हास्य रूप में वर्णित है। काफी लंबे विवाद के बाद यह निर्णय लिया गया कि सभी नौकरों को निकाल दिया जाए, क्योंकि घर में रहने वाले ये मोटे-मोटे कामचोर किस काम के हैं। ये कोई भी कार्य स्वयं नहीं करते। इतने में आवाज आती है-‘कामचोर कहीं के ! तुम लोग कुछ नहीं करते, इतने सारे हो और सारा दिन ऊधम मचाने के सिवा कुछ नहीं करते।” इन वाक्यों को सुनकर बच्चों का मन कुछ करने के लिए व्याकुल हो उठा और उन्होंने स्वयं कार्य करने का निश्चय कर लिया। कार्य की शुरुआत पानी पीने से हुई। पानी के मटकी के पास अत्यधिक घमासान हुआ। मटके और सुराहियों इधर-इधर जा गिरी। यह दृश्य देखकर अम्मा ने सोचा-‘यह भला काम करेंगे!’ बच्चों के बार-बार आग्रह करने पर अम्मा ने उन्हें बहुत-से काम बता दिए-“बहुत-से काम है, जो तुम कर सकते हो। मिसाल के लिए, यह दरी कितनी मैली हो रही है, आँगन में कितना कूड़ा पड़ा है। पेड़ों में पानी देना है |

बच्चे काम में जुट गए वे दरी को झाड़ने और उसे लकड़ी से पीटने लग गए। परिणाम यह हुआ कि सारे घर में धूल-मिट्टी भर गई। किसी ने बताया पानी छिड़ककर झाड़ लगाई जाती है, तब उन्होंने दरी पर पानी डाल दिया। मिट्टी दूर होना तो दूर वहाँ कीचड़-ही-कीचड़ हो गया। इस काम के बाद सबको घर से बाहर निकाल दिया गया।

इसके बाद बच्चों ने सोचा कि चलो पेड़ों को पानी देते हैं। सभी बच्चे घर की बाल्टियाँ, लोटे, गिलास, पतीले, तसले आदि लेकर नल की ओर भागे। नल पर भी एक-दुसरे में घमासान शुरू हो गया। क्या हिम्मत कि किसी के बर्तन में एक बूंद पानी आ जाए। अब बर्तनों पर वर्तन को मार होने लगी। धक्का-मुक्की और कुहनियाँ एक-दूसरे पर बरसने लगी। अब बच्चों को यहाँ से भी भगाया गया। इस धक्का-मुक्की में कुछ बच्चे कीचड़ में भी गिर गए। पास के बंगले से नौकर बुलाए गए और वे चार आना प्रति बच्चे को नहलाने लगे। बच्चों ने सोचा कि उनसे इस तरह का कोई काम नहीं हो सकता। सहसा उन्हें विचार आया कि मुर्गियाँ हाँकने लगे। चारों ओर से ‘दड़बे-दड़बे’ की आवाजें आने लगी। मुर्गियाँ भी बहुत क्यों न मुर्गियाँ ही बंद कर दें। बस सभी तेज थीं। वे किसी के हाथ में नहीं आ रही थीं। बच्चे परेशान हो चुके थे देखते-ही-देखते एक मुर्गी दीदी-कामदानी के सिर और दुपट्टे पर खीर गिराती हुई आगे निकल गई। 

 एक मुर्गा इस तरह से दौड़ा की सारा कीचड़ मौसी के मुँह पर पड़ा, जो उस समय हाथ-मुह धो रहा था। मुर्गियां बिना किसी रोक-टोक के इधर-उधर भाग रही थीं। मुर्गियों में असफलता मिलने के बाद बच्चों ने सोचा कि चलो भेड़ो को दाना डाल दिया जाए। सारे दिन का भूखी भेड़ें दाने के आगे बढ़ती गई। भेड़ें बहुत नि:संकोच भाव से इस तरह दौड़ी कि उन्हें रोकना कठिन हो गया। भेड़़ें सबकुछ अस्त-व्यस्त करते हुए सबको रौंदती, मेंगनों का छिड़काव करती हुई दौड़ पड़ी। हज्जन माँ एक पलंग पर दुपट्टे से मुंह डॉन के सो रही थी। उन पर से जी भेड़ें दौड़ी, तो दुपट्टे में उलझी हुई ‘मारो-मारो’ चीखने लगी। कुछ ही देर में भेड़े सूप को भूलकर सब्जी दी। इस कार्य में भी की टोकरी पर टूट पडीं। थोड़ी ही देर में भेड़ों ने तरकारी छिलकों समेत अपने पेट की कड़ाही में डाल गई।

सब कार्यों  में असफलता मिलने के बाद बच्चे अब भैंसों का दूध निकालने में जुट गए। धुली-बेधुली बाल्टी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े। भैंस बाल्टी को लात मारकर दूर जा खड़ी हुई। सबने तय किया कि भैंस को आगे-पीछे कसकर बांध दिया जाए। झूले की रस्सी निकालकर भैंस के पैर बाँधे गए। पिछले दो पैर चाचा जी की चारपाई से बाँध दिए गए। अगले पैरों को बाँधने की कोशिश की जा रही थी कि भैंस चौकन्नी हो गई और छूटकर भाग निकली। चाचा जी की चारपाई जब पानी के ड्म से टकराई तो उन्हें लगा की भूचाल आया हुआ है। जब उन्हें वास्तविक बात का पता चला तो वे बच्चों को छोड़ने वालों को भला-बुरा कहने लगे। सहसा याद आया बछड़ा तो खोला ही नहीं गया । अब बछड़ा भी खोल दिया गया। बछड़े की ममता में व्याकुल भैंस रुक गई। बछड़ा उसी समय दूध पीने में जुट गया। दुहने वाले गिलास-कटोरे लेकर लपके, क्योंकि बाल्टी तो छपाक से गोबर में जा गिरी थी। कुछ दूध जमीन पर और कपड़ों पर गिरा। दो-चार धारे गिलास-कटोरों पर भी पड़ गई, बाकी सब बछड़ा पी गया। पूरे घर में कोलाहल मच गया। चारों ओर टूट-फूट, इधर-उधर बिखरा सामान ही देखने को मिल रहा था अब अम्मा ने साफ साफ कह दिया-“या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे रख लो। नहीं तो मैं चली मायके।” अब मैं सबको एक पंक्ति में खड़ा करके पूरी बच्चा बटालियन का कोर्ट मार्शल कर दूँगी। “अगर किसी बच्चे ने घर की किसी चीज को हाथ लगाया, तो बस रात का खाना बंद हो जाएगा।” इसके बाद बच्चों ने निश्चय कर लिया कि अब वे कोई काम नहीं करेंगे।

कामचोर कहानी का प्रश्न उत्तर / kamchor question answer class 8 

कुछ करने को

1.कहानी में मोटे-मोटे किस काम के हैं किनके बारे में और क्यों कहा गया?

उत्तर– कहानी में मोटे-मोटे शब्द का प्रयोग घर के बच्चों के लिए किया गया है। सभी बच्चे घर के किसी भी काम में सहयोग नहीं करते हैं। सारा दिन घर में उधम मचाते-फिरते थे।

2 बच्चों द्वारा उधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई।

उत्तरः बच्चों के उधम मचाने से सुराहियाँ लुढ़क गई,मटके लुढ़क गए, कपड़े भीग गए। घर में लगता था मानो बाढ़ आ गई। दरी साफ करने से सारा घर धूल से अँट गया। सभी खासते-खाँसते वेदम हो गए। धूल नाक और फेफड़े में घुस जाने से सभी का बुरा हाल हो गया । झाडू मारने के चक्कर में बच्चों ने उसकी सींक-सींक विखेर दी। पेड़-पौधों को पानी देने के लिए घर के तमाम बरतनों को इधर-उधर बिखेर दिया गया। बच्चों की शरारतों से परेशान मुर्गियों ने पूरे घर में कीचड़ फैला दिया। बच्चों की उधम से लगता था मानो घर में तूफान आ गया हो।

3- ‘या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे रख लो’ अम्मा ने कब कहा? और इसका परिणाम क्या हुआ?

उत्तर : यह वाक्य बच्चों की शरारतों से परेशान होकर अम्मा ने कहा । अम्मा की यह बात सुनकर अब्बा ने बच्चों को हुक्म दिया कि- -अगर किसी बच्चे ने घर की किसी चीज को हाथ लगाया तो बस, रात का खाना बंद हो जाएगा। इस आदेश के बाद घर के बच्चों ने घर के कामों में हाथ बँटाना बंद कर दिया। 

4. ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है?

उत्तर– ‘कामचोर’ कहानी से हमें संदेश मिलता है कि हमें अपने घर के कामों में सहयोग करते समय समझदारी भी दिखानी चाहिए। बिना सोचे-समझे या लोभवश किए गए कार्य दुखदायी होते हैं। 

5. क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए हिलकर पानी भी नहीं पिएँगें।

उत्तर– ‘नहीं’ बच्चों का यह निर्णय गलत था बच्चों को बिना सोचे-समझे किए गए कार्यों से पैदा हुई दिक्कतों से शिक्षा लेनी चाहिए थी कि वे भविष्य में कभी गलतियों नहीं दोहराएंगे। तभी वे घर के कामों को भली-भांति निपटाने में सफल हो पाते।

कहानी से आगे

1- घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के उन्हें करना आवश्यक क्यों है?

उत्तर : हर व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य करने चाहिए। इससे व्यक्ति अभ्यस्त व कुशल होकर हर कार्य को भली-प्रकार कर सकता है।

2- भरा पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद ?कामचोर कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।

उत्तर– भरे-पूरे परिवार में यदि सभी सदस्य अपने-अपने काम को भली प्रकार करें तो परिवार में हर सदस्य को आराम मिलेगा। मिल-जुलकर काम करने से आपसी सहयोग से रहने की कला विकसित होगी। इसके विपरीत मनमानी करने से घर का वातावरण अशांत हो जाएगा। गलतियाँ होने पर सभी एक-दूसरे पर दोषारोपण करके कलह करेंगे। आपसी विवाद होने से घर का माहौल अशांत हो उठेगा। 

3. बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं। कामचोर कहानी को ध्यान में रखकर उपरोक्त कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर: बड़े होते बच्चे यदि गंभीरता पूर्वक अपने-अपने माता-पिता के कामों में सहयोग करें तो इससे उनमें आपसी प्रेम व सहयोग की भावना उपजेगी। घर के वातावरण में प्रेम की भावना बनी रहेगी। इसके विपरीत शरारती बालक अपने अविवेकी और अस्त-व्यस्त कार्यों से परिवार के सदस्यों के लिए परेशानी पैदा करते है ।

4. कामचोर कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की। इन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं?

उत्तर– कामचोर कहानी संयुक्त परिवार की कहानी है। परिवार के दो रूप समाज में मान्य है। पहला रूप एकल परिवार के रूप में और दूसरा रूप संयुक्त परिवार के रूप में। एकल परिवार में बच्चे और उनके माता-पिता रहते हैं इसके विपरीत संयुक्त परिवार में बच्चे उनके माता-पिता उनके दादा-दादी उनके चाचा-चाची इत्यादि लोग साथ-साथ रहते हैं।

कामचोर कहानी अनुमान और कल्पना

1-घरेलू नौकरों को हटाने की बात किन-किन परिस्थितियों में उठ सकती है?विचार कीजिए।

उत्तर– घरेलू नौकर यदि आलसी-निकम्मे या कार्यों को निपटाने में कुशल न हों तो उन्हें हटा दिया जाना चाहिए । शान-शौकत प्रदर्शन के लिए अवाछित नौकरों को हटा देना चाहिए। 

2. कहानी में एक समृद्ध परिवार के ऊधमी बच्चों का चित्रण है। आपके अनुसार इनकी आदत क्यों बिगड़ी होगी? इन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे?

उत्तर– कहानी में समृद्ध परिवार के बच्चे हैं, जो सभी सुख-सुविधा पाकर आलसी हो गए हैं। स्वयं काम न करने के कारण वे किसी भी कार्य को करने में निपुण भी नहीं है। ऐसे बच्चों को सुधारने के लिए माँ-बाप को चाहिए कि उन्हें हर कार्य को करने में सक्षम बनाने के लिए उनका सहयोग करें। 

3. किसी सफल व्यक्ति की जीवनी से उसके विद्यार्थी जीवन की दिनचर्या के बारे में पढ़े और सुव्यवस्थित कार्यशैली कार्यशैली पर एक लेख लिखें।

विद्यार्थी स्वयं करें। 

कामचोर कहानी भाषा की बात

“धुली-बेधुली बाल्टी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।” धुली से पहले ‘बे’ लगाकर बनता है ‘बेधुली जिसका अर्थ हुआ ‘बिना धुली’ । ‘बे’ उपसर्ग है। उपसर्ग शब्द के आरंभ में जुड़कर नए-नए शब्द रचते हैं। वे उपसर्ग से बनने वाले कुछ और शब्द हैं- बेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। अपने साथियों के साथ मिलकर नीचे लिखे उपसर्गों से बनने वाले शब्द दीजिए

उपसर्ग- प्र, आ, भर, बद

उत्तर;
प्रप्रकार, प्रकाश, प्रलय, प्रमाण, प्रलाय, प्रताप। 
आजीवन, आकार, आरक्षण, आमरण । 
भरभरपेट, भरपूर, भरसक, । 
बद– बदनाम, बदबू, बदकिस्मत, बदहाल, ।

कामचोर कहानी अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न– सोचे-समझे बिना कार्य कर डालने से क्या-क्या हानियां हो सकती हैं 
प्रश्न कामचोर कहानी का क्या उद्देश्य है? 
प्रश्न– मनुष्य को अपनी बुद्धि से क्या सोचना चाहिए? 
प्रश्न– बड़ी देर के  वाद-विवाद के बाद क्या तय हुआ?

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